तबलीगी जमात , जिसका मतलब है 'विश्वास पर फैलाने वाला समाज' । तबलीगी जमात सन 1926 में अस्तित्व में आया था । मूलतः तबलीगी जमात एक इस्लामिक मिशनरी मूवमेंट है । जिसमें भारत सहित दुनिया के अनेकों देशों के लोग शामिल हैं । इस समय तबलीगी जमात के लगभग 22 करोड़ से अधिक सदस्य हैं । तबलीगी जमात के लोग एक समूह में धार्मिक यात्राएं और सभाएं करने के लिए जाने जाते हैं। तबलीगी जमात का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में इस्लाम का प्रचार प्रसार करना है । भारत में तबलीगी जमात मुख्यालय दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन में है । यहां तबलीगी जमात की मरकज में इनकी धार्मिक सभाएं होती हैं । जहां से उपदेश लेने के बाद यहां से निकले लोग अलग-अलग क्षेत्रों में समूहों में निकल जाते हैं तथा इस्लाम का प्रचार करते हैं ।
तबलीगी जमात में कोरोनावायरस की शुरुआत
तबलीगी जमात में कोरोनावायरस फैलने का सबसे पहले खबर मलेशिया से आई ।जो कि पूरे मलेशिया में कोरोना वायरस और फैलाने का सबसे बड़ा कारण बना । 18 मार्च तक मलेशिया में शुरुआती 673 कोरोना पॉजिटिव coronaरोगियों में से लगभग दो-तिहाई रोगी कुआलालंपुर में हुई एक तबलीगी जमात की सभा से संबंधित थे ।
ठीक इसी प्रकार पाकिस्तान के रायबिंद में 12 मार्च को तबलीगी जमात की एक सभा हुई जिसमें लगभग डेढ़ लाख लोग शामिल हुए थे । इसके बाद रायविंद में पाए गए 35 कोरोना पॉजिटिव रोगियों में से 27 कोरोना पॉजिटिव रोगी तबलीगी जमात से ही आए हुए थे । जोकि कुल रोगियों का लगभग 90 % था ।
दिल्ली में हुई तबलीगी जमात की सभा
दिल्ली में 13 से 15 मार्च तक हुई तबलीगी जमात की एक सभा में लगभग 3400 लोग इकट्ठा हुए । 16 मार्च को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आदेश दिया कि दिल्ली में 31 मार्च तक 50 से अधिक लोगों की भीड़ इकट्ठा नहीं होनी चाहिए । लेकिन इसके बाद भी तबलीगी जमात मरकज के लोगों ने इस आदेश की अवहेलना की तथा वहीं निजामुद्दीन मरकज में ही रुके रहे । 20 मार्च को तेलंगाना में मरकज से निकले 10 इंडोनेशियाई नागरिकों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया । 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 21 दिन के लिए देशव्यापी लाक डाउन घोषित किया और उसी दिन दिल्ली पुलिस ने तबलीगी जमात मरकज खाली कराने का आदेश दिया । लेकिन उसके बाद भी लोग वहीं तबलीगी जमात मरकज पर अड़े रहे । उसके ठीक है अगले ही दिन सरकार की तरफ से मेडिकल टीम चेकअप के लिए गई और तबलीगी जमात मरकज से छह संदिग्ध लोगों को वहां से अलग करके को क्वॉरेंटाइन किया गया । 26 मार्च को दिल्ली में हुई सभा से लौटे एक कोरोना पॉजिटिव कश्मीरी व्यक्ति जो की ट्रेन से श्रीनगर पहुंचा था उसकी मृत्यु हो गई । 28 मार्च को लाजपत नगर के एसीपी ने तबलीगी जमात निजामुद्दीन मरकज को खाली करने का नोटिस भेजा जिसके जवाब में तबलीगी जमात मरकज के अधिकारियों ने यह कह कर टाल दिया कि हम अब किसी भी नए व्यक्ति को अंदर नहीं आने दे रहे हैं और तबलीगी जमात मरकज खाली करने से मना कर दिया ।
29 मार्च की रात को रात में पुलिस ने बल प्रयोग करके तबलीगी जमात मरकज को खाली कराना शुरू किया और रात में लगभग 1000 लोगों को बाहर निकाला गया जिनमें से लगभग 300 संदिग्ध लोगों को क्वॉरेंटाइन किया गया । आज 1 अप्रैल की दोपहर को दिल्ली सरकार के अनुसार तबलीगी जमात मरकज से कुल 2361 लोग निकाले गए हैं । जिनमें से 180 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है और अभी लगभग 350 से अधिक संदिग्धों की रिपोर्ट आना बाकी है ।
उधर कल तेलंगाना राज्य सरकार ने जानकारी दी कि निजामुद्दीन तबलीगी जमात मरकज से लौटे कोरोनावायरस पॉजिटिव रोगियों में से 6 रोगियों की मृत्यु हो गई है। उधर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेश से आए लोगों की पहचान करके उनको वापस भेजने का आदेश दिया है ।
अब सवाल यह उठता है कि क्या यदि सरकारी आदेशों का पालन हुआ होता तो धर्म का प्रचार-प्रसार रुक जाता । जहां आज को कोरोना महामारी की वजह से पूरी मानव जाति खतरे में है, वहां धार्मिक सभाओं का आयोजन कहां तक उचित है ?जब मानव जाति ही नहीं रहेगी तो धर्म का क्या होगा ? उसके बाद भी सभाओं के माध्यम से लोगों को बरगलाया जा रहा है । ऊपर से तबलीगी जमात मरकज की तरफ से यूट्यूब पर संदेश प्रसारित किया जा रहा है कि यदि मरना ही है तो ऐसी पवित्र जगह पर मरो । यह सब बातें कहां तक उचित है ? खैर अभी तो फिलहाल मरकज का वक्ता फरार है देखते हैं कब तक गिरफ्त में आता है ...