कोरोनावायरस की सतह पर क्राउन (Crown) जैसे कई उभार होते हैं, इन्हें माइक्रोस्कोप में देखने पर सौर कोरोना जैसे दिखते हैं। इसलिये इसका नाम कोरोनावायरस है। इस वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 नाम दिया है। हाल के वर्षों में चीन ‘गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम’ (Severe Acute Respiratory Syndrome- SARS), बर्ड फ्लू (Bird Flu) और वर्तमान में प्रभावी ‘नोवेल कोरोनावायरस’ (Novel Coronavirus- nCOV) जैसे वायरस के अधिकेंद्र के रूप में उभर कर सामने आया है। 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 'महामारी' घोषित कर दिया।
कोरोनावायरस और वैश्विक राजनीति
यदि हम आज कोरोना वायरस का नाम सुनते हैं तो, जो वस्तुस्थिति सर्वप्रथम उभरकर सामने आती है वह ‘क्वारंटाइन (अपनी गतिविधियों को स्वयं तक सीमित करना) या आइसोलेशन (एकाकीकरण)’ है। यह आइसोलेशन न केवल व्यक्ति या समाज के स्तर पर हुआ है बल्कि विभिन्न देशों की सीमाओं की स्तर पर भी हो गया है।कोरोना वायरस को लेकर विश्व की दो शक्तियां अमेरिका तथा चीन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का भी दौर शुरू हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस वैश्विक आपदा ने वैश्विक भू-रणनीतिक व्यवस्था को परिवर्तित कर दिया है।शोधकर्त्ताओं का ऐसा मानना है कि चीन का ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt And Road Initiative-BRI) प्रोजेक्ट’ जिसका विस्तार चीन से यूरोप और एशिया महाद्वीप के विभिन्न देशों तक है, इस वायरस के प्रसार का प्रमुख वाहक है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार, अपेक्षाकृत रूप से चीन के करीबी देश ईरान ने भी इस वैश्विक आपदा की स्थिति में चीन से सहायता न मांगकर अमेरिकी प्रभुत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से सहायता की अपील कर वैश्विक राजनीति के बदलने के संकेत दिये हैं।
कोरोना संकट के साए में अमेरिका और चीन जैसी दो वैश्विक महाशक्तियों के बीच टकराव से वैश्विक राजनीति पर गंभीर प्रभाव होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। इसका पहला प्रत्यक्ष प्रभाव अमेरिका और चीन के बीच हाल ही में संपन्न व्यापार समझौते पर होगा। साथ ही, चीन के इस घटनाक्रम में लापरवाही भरे रुख के कारण दुनिया भर में चीन को संदेह की नज़र से देखा जाने लगेगा। कोरोना वायरस को लेकर दोनों देशों की बीच उत्पन्न टकराव नवंबर 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं।
कोरोना रूपी वैश्विक आपदा तथा भारत
कोरोना वायरस से भारत भी अछूता नहीं रहा है। भारत को अपना पूरा ध्यान वायरस के संक्रमण को रोकने में लगाना चाहिये और भारत पूरी ताकत से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने को संकल्पबद्ध है। भारत को आपदा की इस स्थिति में बदलती वैश्विक राजनीति के किसी भी समूह में शामिल नहीं होना चाहिये क्योंकि इससे भारत को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होता है। भारत को अपने पड़ोसी देशों तथा क्षेत्रीय संगठनों जैसे- सार्क और बिम्सटेक के साथ मिलकर एक विशेष कार्यदल का गठन करना चाहिये ताकि इस आपदा से निपटने की तैयारियों में समन्वय व संचार की कमी न रह जाए। जब चीन में यह वायरस अपने भयावह रूप को प्रसारित कर रहा था तब भारत इसके रोकथाम की तैयारी कर रहा था और यही कारण है कि आज 135 करोड़ जनसंख्या होने के बाद भी भारत कोरोनावायरस को काफी हद तक रोकने में कामयाब रहा है।30 जनवरी 2020 को केरल में पहला कोरोना वायरस का मरीज मिला जिसके बाद भारत ने इसके रोकथाम के लिए अपनी तैयारी और जोरशोर से शुरू कर दी। अपने कठोर निर्णय के लिए जाने जाने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल तक सम्पूर्ण भारत में लॉकडाउन घोषित कर दिया । जिसे आज भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने राष्ट्र के नाम अपने सम्बोधन में बढाकर 3 मई कर दिया है । जिसके कारण भारत में कोरोना वायरस अपने पांव नहीं पसार सका। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अगर भारत में लॉकडाउन न होता तो आज मरीजों की संख्या लगभग 8 लाख के आसपास होती परंतु लॉकडाउन के कारण आज यह संख्या 10,000 से भी कम है। जनसंख्या घनत्व, गरीबी और अशिक्षा जैसे कारकों के साथ भारत का अपर्याप्त स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचा भारत को COVID -19 के लिये अत्यधिक संवेदनशील बनाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय अपने एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme-IDSP) नेटवर्क के माध्यम से उन लोगों का पता लगाने का प्रयास कर रहा है जो उन कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए हैं। चूँकि COVID -19 एक श्वसन आधारित वायरस है, इसलिये यह कुछ ही समय में फैल सकता है और इससे व्यक्ति की जान जा सकती है।
भारत जैसे विकासशील देश ने आज कई अन्य विकसित देशों की तुलना में अधिक कोरोना टेस्ट कर नए कीर्तिमान स्थापित किये है। सरकार अधिक-से-अधिक अत्याधुनिक उपकरणों से लैस प्रयोगशालाओं को स्थापित कर रही है, ताकि व्यक्ति में संक्रमण की पूरी तरह से पुष्टि हो सके। सरकार आइसोलेशन वार्ड की सुविधा के साथ, सेपरेशन किट, मास्क, PPE इत्यादि की व्यवस्था सुचारू रूप से कर रही है। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए भारत की ओर से उठाए गए कदमों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी प्रसंसा की है। स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच और इनकी गुणवत्ता (HAQ) मामलें में भारत 145वें स्थान पर है जबकि भारत से अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं दुनिया के कई विकसित देशों में है लेकिन फिर भी कोरोना संक्रमण को रोकने में भारत इटली, अमेरिका, चीन, स्पेन, फ्रांस आदि देशों से अधिक सक्षम साबित हुआ है। विश्व के तमाम देश भारत की तरफ आस लगा कर बैठे हैं क्योंकि भारत कोरोना को रोकने में सफल साबित हुआ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कोविड-19 के संभावित इलाज के तौर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा की मांग करने के बाद कई देशों ने भारत से इस दवा की मांग की है क्योंकि भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के उत्पादन और निर्यात में प्रथम स्थान रखता है इसके साथ ही साथ वैश्विक आपूर्ति में भारत की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है। कोरोना संक्रमण को रोकने के अप्रत्याशित सफलता के साथ इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत आने वाले समय में अपने आप को विश्वगुरु के रूप में स्थापित कर सकता है। कोरोना वायरस के रूप में दुनिया के समक्ष एक अभूतपूर्व संकट उत्पन्न हुआ है और इसका प्रसार जितनी तेज़ी से हो रहा है, वह इसे अधिक चिंताजनक बनाता है, इसलिये इससे निपटने के लिये विश्व का प्रत्येक प्रयास इस महामारी के पूर्णतः उन्मूलन का होना चाहिये। कोरोना वायरस से बचाव की तैयारी न केवल सरकार का उत्तरदायित्व है बल्कि सभी संस्थानों, संगठनों, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों, यहाँ तक कि सभी व्यक्तियों को आकस्मिक और अग्रिम तैयारी योजनाएँ बनाना चाहिये।
बड़े पैमाने पर व्यवहार परिवर्तन एक सफल प्रतिक्रिया की आधारशिला होगी। इसके लिये उचित जोखिम उपायों और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रति एक नवीन एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। सही जानकारी ही बचाव का बेहतर विकल्प है, इसलिये सरकार, सामाजिक संगठनों तथा लोगों को सही दिशा-निर्देशों का प्रसार करना चाहिये। भारत में भी कई लोग इस समय कोरोना वायरस के दृष्टिगत यह कहते हैं कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था पर भी ध्यान देना चाहिए, यह बात सत्य है कि कोरोनावायरस के मद्देनजर भारत की आर्थिक स्थिति चिंताजनक स्तर पर आ गयी है परंतु अंत में एक बात कहकर इस लेख का निष्कर्ष बताना चाहता हूँ कि "जान है तो जहान है।"
भारत के संबंध में कई बातें छूट रही हैं जैसे कि भीलवाड़ा मॉडल, केरल मॉडल, आपरेशन शील्ड, आपरेशन नमस्ते...इन सब की चर्चा अगले लेख में।
---सूर्य प्रकाश अग्रहरि
रायबरेली, उत्तर प्रदेश